शुक्रवार

और कई है हमार के मालिक के हरम में

जय हो
आसाम से लेकर दिल्ली और वहाँ से पटना और छपरा तक में हमार टीवी के मालिक द्वय ने अपने कई हरम बना रखे है | इन हरम में हर उम्र और हर रंग की रंगीनिया मौजूद है | किसी को नौकरी पर तो किसी को प्रोग्राम की एंकर के नाम पर तो किसी को खुद से भी बड़ा पद देकर ऐयास्सी के लिए रखा है | आप दंग रह जायेंगे की इस कमलापति सिंह ने तो रिश्तो को भी कलंकित कर दिया है | आजकल लड़कियों और महिलाओं को पटाने के लिए यह शख्स पहले बेटी और बहन बनाता है फिर शुरू हो जाता है खेल |
दरअसल , हमार टीवी की शुरुवात के समय यह माना जाने लगा था की इस चैनल से भोजपुरी चैनल को एक नयी राह मिलेगी और भोजपुरी स्पीकिंग लोग कही भी बैठकर देश जवार की खबर देख पायेंगे | पर महिला के साथ विवाद में चैनल का दुर्दिन आ गया और इससे भी सीख नहीं ले पाए कमलापति सिंह | और आज भी अपने हरम को गुलजार रखने के लिए तरह तरह का प्रपंच रच कर हरिया रहें है |
बेहतर पत्रकार और उम्दा टीम के बावजूद हमार टीवी की पहुँच उन दर्शको तक नहीं है जो टी आर पी हैं | कंटेंट भी लोंगो पर प्रभाव छोड़ने में विफल है | कारण साफ़ है कि सारा कंटेंट और आइडिया तो हरम में लग रहा है | चैनल के पत्रकार अभाव के बाद भी हरम की नार को कब्जियाने के फेर में लग गए हैं तो चैनल पर सिर्फ अनिल सुलभ का ही इंटरभिय्यू चलेगा ना |
जय हो

जूता बेचने वाली चैनल की प्रशासक

जय हो
यह कोई कोरी बात नहीं है ... सौ फीसदी सच है ... मैडम सिंह आजकल हमार टीवी में प्रशासक के पद पर बहाल हो गयी हैं | इनके आने से चैनल में बहार आ गया है ... काम करने वाले से लेकर ... क ..पति सिंह भी टनाटन्न है और मस्ती में काम चल रहा है | कोई चिंता नहीं ... कोई फिकर नहीं ... चैनल कर्मी को सही समय पर मुद्रा मिले या नही पर ... मैडम को एडवांस में ही सैलरी और गिफ्ट मिल रहा है | भाई मिले क्यों नहीं ... मैडम है रांची से आयी है ... रांची का पानी चेहरे से छलकता है | सो इनका आदेश आजकल सब मानने को तैयार रहता है ... डांट सुनाने का मतलब ... अगले दिन अकेले में बतियाने का सुख ... सो सब ऊपर वाले की कृपा है |
तो आप कहिएगा की भाई इसमें खबर क्या है ... तो अब खबर बताता हूँ ... मैडम का असली नाम कुछ और है ... असली नाम भी बताना पडेगा क्या ... चलिए उ भी बता देता हूँ ... उषा ... रांची के सबसे महंगा जूता दूकान में थी ... पूमा शॉप ... अब उषा ... शाम की बेला में छवि ... आइना जो ना कराये ... तो छवि बनी रहे सो यही नाम ... कृपा ऊपर वाले की ... कोई तो दोस्त बनाने वाला मिला ... दोस्त बन गयी ... निशब्द ... उम्र मायने नहीं रखता ... बुची को गोद में बैठने का सपना लिए .... छवि की यारी पा धन्य हो गया और बन गयी एक कहानी |
अब देखिये न मैडम मिलन.... सार है ... यहाँ जो ना मिला उ कहते है ना ... भोजपुरी में ... छीनलपाना ... यही विभूषण मिलता है पति सिंह से ... तो आप भी मिल सकते है ... ना तो जाकर ... को डीनेटर ... सर से पूछ लीजिये ... आजकल मैडम का हुकुम से आँखों पर |
जय हो

बर्बाद गुलिस्ता करने को बस एक ही एंकर काफी है

जय हो
सतयुग हो या त्रेता हर समय हर काल में नारद की भूमिका देखी गयी ... नारद ... नारायण ... नारायण का जाप करने वाला यह भक्त हर काल में द्योतक रहा है ... चुगलखोड़ो का ... जिन पर यकीन करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारकर... विकलांगता का सर्टिफिकेट लेकर... आधे दाम में ट्रेन का सफ़र का मज़ा | पर आप जान लीजिये की हर कोई नारद की भूमिका में नहीं आ सकता ... कइयो के पास अपने से अधिक अपने जमीर का फिक्र है ... तो कई दलाली में इतने डूबे है की उनको और किसी की चिंता नहीं रहती | पर कई ... न न ... सिर्फ कुछ गिने चुने ऐसे है जो सर्व गुण संपन्न है ... इश्वर ने इनकी रचना वीक ऑफ के दिन फुर्सत के साथ की ... कलियुग के सारे गुण विष्णु ने कूट कूट कर इनमे भर दिया | वैसे इनकी पहचान आज की तारीख में करना मुश्किल है पर आपको कुछ टिप्स देता हूँ ... कोशिश कीजिये ... शायद आपके आसपास दिख जाए ... ना दिखे तो पाटलिपुत्र कालोनी के रोड नंबर पांच में जाए ... एक नहीं ... आप गिनते गिनते हैरान परेशान हो जायेंगे |
वैसे इस कलियुगी नारद का चेहरा अंडाकार ... कद में आप ना पड़े ... ये नाटे भी हो सकते है ... कही जगह ये लम्बे भी होते है ... इनकी मूछे अक्सर साफ़ रहती है ... लेकिन कई बार ये लोंगो को भ्रम में रखने के लिए पतले और छोटे मूंछ रखते है ... ये पहचान के भूखे ... और तक़दीर के मारे होते है और इसी कारण काम की जगह भी बेईमानी नहीं छोड़ते ... आप जब इनसे बात करेंगे तो सिद्धांत और संस्कार की जाल में आपको ऐसे उलझा लेंगे की आपका दम निकल जाएगा पर जब इनका असली चेहरा देख ले ... रिपोटिंग में दलाली ... यकीन मानिए ... हम यहाँ उस संस्थान के निदेशक का नंबर छाप दे सकते है ... पर खुलासा का मकसद किसी को जलील करना नहीं वल्कि पत्रकारिता के दलाल को सामने लाना है ताकि वह अपने दलाली से बाज़ आये |
हाँ तो मै कह रहा था की सफ़ेद बाल रखकर खुद को गंभीर मीडिया कर्मी बनने वाले भी इसी श्रेणी में आते है | हालंकि ये लोग चांदी के चम्मच लेकर पैदा हुए है ... नौकरी खुद के टैलेंट पर नहीं झाजी के आरक्षण पर मिल गयी ... एंकर भी बन गए ... और अपनी औकात भूल ... चादर से बाहर पैर निकाल लिए | आपने कभी सीडी या डीवीडी देखा है ... बीच में छेद ... वही कैरेक्टर के ये होते है ... जहाँ रहेंगे वहीँ सारा कुकर्म करेंगे ... थाली क्या .... उसमे भी छेद कर लेंगे ... यकीन नहीं है ... जाकर मिल तो आइये ... पहचान बता दिया ... अब ... हाँ अपने कैरेक्टर के ऊपर एक ब्लॉग भी खोल रखा है ... हाँ याद आया ... अगर इसी पहचान में दाढ़ी वाला मिल जाए तो उस पर भी सौ परसेंट भरोसा मत कर लीजिएगा ... उ तो सबसे आगे ... का कहते है ... चापलूस है ... बेईमानी रग रग में है ... कैसे तो यह कहानी सुन लीजिये ...
बढ़ी दाढ़ी लेकर डाक्टर के यहाँ गया ... डाक्टर आपकी ही तरह था ... फेर में आ गया ... दार्शनिक समझ बैठा ... बिना फीस का इलाज कर दिया ... दोस्ती हो गयी ... बाद में अगले ही दिन से डाक्टर के पास इसका मरीज़ आने लगा ... फ्री में इलाज़ ... डाक्टर ने पता किया ... अरे भाई ... इ तो फीस अपने लेता था और रिलेटिव बनाकर इलाज़ करता था ... समझ गए |
जय हो

आरक्षण में आरक्षण विवाद है ही नहीं ... सबका वीप बजा दिया झा जी

जय हो
एक कहावत है ना ... हिंग लगे ना फिटकरी रंग चोखा ... सो प्रकाश झा ( भाई जी ) ने बिना दाम लगाए फिल्म का ऐसा प्रचार कर दिया की बिग बी चित्ते पर गए है | कभी सोचा भी नहीं था की बिना फिल्म देखे नेता फिल्म के बारे इतना जान लेंगे | सिर्फ एक संवाद को प्रोमो में डाल ऐसा पासा डाला की का नेता और का अभिनेता ... सब पट्टे... समझ ही नहीं पा रहा है की भाई जी के पास दिमाग कितना है ... कोइयो नहीं समझ पाया तो पुनिया जी समझेगे ... भाई जी के दिमाग के बारे में जानना हो तो दुइये गो लोग आपको बता सकता है ... एक दीप्ती नवल और दूसरा प्रभात झा | एक पत्नी और दूसरा भाई | बांकी सब ... झुमरी तिलैया ... |
तीन राज्य ने फिल्म को बैन कर दिया ... पटना में सिनेमा हॉल के बाहर पुलिस ... दर्शक ... तीन तेरह में ... कहीं बहरे से कुछ कर दिहिस त ... जय हो ... ठीके बोला था ... नाग का इलाज़ है पर मैथिल ... उसमे भी ब्रह्मण ... डसेगा एक बार ... असर ... जगह जगह ... भाई का नहीं हुआ तो लालू और पासवान का होगा ...अरे इसी पासवान ने तो इस फिल्म का आइडिया दिया था ... चुनाव भले हार गए पर आरक्षण नहीं भूले |
कोई बात नहीं ... अबकी आयें तो ... सवाल अक्के गो ... आजतक छोड़े किसको ... ?