शुक्रवार

चमचागिरी की हद


जय हो


अब बॉस ने ठान लिया है कि चमचागिरी करेंगे ! चमचागिरी भी ऐसी की देख पड़ोसन जल मरे !नहीं यकीन है तो बॉस की एक मगज़ीन को देखिये ... कवर पेज पर ही सबकुछ दिख जाएगा ! किसी भी बुक स्टाल पर जाइए ... लाल रंग वाले कवर वाले पत्रिका उठाइये ... सब साफ़ ... दलम के दलपति के साथ ही झाजी का भी फोटो ! झाजी को बेचारा बना दिया ! अपने ही देश में अपमान शीर्षक से छपे आलेख को पढ़िये ... सब क्लियर हो जाएगा ! आखिर बॉस को क्या हो गया है ! इतना परेशान क्यों है बॉस ! सत्ता जाने का इतना दुःख ... दुःख तो दलपति को भी है जब हाथ से दलम की सत्ता चली गयी थी ... दलपति ने क्या किया ... अपमान को पी लिया ... पर जंगल को नहीं छोड़ा !पर बॉस तो अपमान सह नहीं सकता ... अपमान करने वालो को धुल चटाने के चक्कर में अपमानित भले हो जाए !
अब झाजी का सहारा ! पहले पन्ने से लेकर तीन पन्ना .... झाजी के लिए ! विज्ञापन का चक्कर लग रहा है ! पर झाजी बहुत तेज़ है ... तेज़ चैनल से भी तेज़ ! बॉस समझ नहीं रहा है कि अब लोग इसको यूज कर रहा है ! यूज के बाद जंगल के पुरानी हवेली से बाहर ! बॉस ने देखा है पुराने बिरादरी के लोंगो को ! समझ का चक्कर है !
चलिए बॉस को तब भी सहयोग और समर्थन देने के लिए राजा तैयार है ... मालूम है क्यों ... बॉस अच्छा चमचा है !

जय हो