शनिवार

मधुरशील अब चैनल हेड


जय हो

पक्की खबर ... एक महीने से अपनों से परेशान देश लाइव ने आखिरकार सम्पादक धीरेन्द्र श्रीवास्तव से किनारा कर ही लिया और चैनल की जिम्मेवारी मधुरशील को दे दी गयी | बिहार के जानेमाने बिजनेसमैन नीतीश्वर ने देश लाइव की बुनियाद रखी उसको लेकर शुरू से ही राजनीति शुरू हो गयी थी | महुवा टीवी से बेईमानी के आरोप में निकाले गए ऋषि नाम वाले सज्जन ने यहाँ भी खेल शुरू कर दिया था ... महिला एंकर और प्रोडूसर को घंटो कमरे में बिठा कर सेंटिमेंट को जगाने और फिर ... जाने दीजिये ... ऋषि महाराज तो सतयुग से ही ऐसे थे... अपना गिरेबान झांके नहीं और बीबी को पत्थर बना दिए थे ... तो हुजुर ... ऋषि जी के जाने के बाद चैनाल्मे कामकाज ठीक हुआ की भाई अखबारी लाल को मालिक की याद सताने लगी | नया फरमान ... विजुअल नहीं ... टेक्स्ट फार्मेट से काम चलाओ ... असली नकली नहीं पैसा लाओ ... रे भाई जा ... रन अखबार है क्या ... डीएम और एस पी विज्ञापन देगा ... ठेंगा छाप आदमी ... डाक्टर बोला था पत्रकार बन जाओ |

भाई साहब को नीतीश्वर ने बाहर ... राजापुर.. टेम्पो स्टैंड का रास्ता क्या दिखया ... मन का धीर भूल भाई लग गए मधुर को बजाने में ... भाई मधुर ने दिल्ली में दूरदर्शन के लिए एंकरिंग भी की है ... मंदी हाउस पर बैठकर बादाम भी फोड़ा है ... इ टीवी के चतरा से लेकर रांची ब्यूरो भी सम्हाला है ... कहने को तो इंदिरा गाँधी भी गंदी थी ... किसी के पास कोई सबूत है तो बताये ... बस मधुर में यही कमी है की यह हंस कर बात करता है ... सच्चा है और रहेगा ... जिस घर में कोई पत्रकार नहीं हो ... बनारस यूनिवर्सिटी का छात्र ... पारिवारिक दवाब के बावजूद कर्मठता ... थैंक्स मधुर ... बधाई ...आदित्य आपको जानता है ... उस सच्चाई को भी जो शायद यहां के पत्रकार नहीं जानते ... खासकर के चू... यस ... जो सिर्फ आजकल ब्लैकमेलिंग को धंधा बना चुका है |

जय हो

विदाई का सबब


जय हो

यह गलत किया है देसी शराब नाम वाले चैनल ने ... भाई ठाकुर जी को विदा कर दिया ... का गलती हो गयी थीं ... ग़लती हुई तो ठीक भी किया जा सकता था ... इ का मतलब हुआ की सीधे ... ग ... मुडिया दे कर पलट दीजिएगा | इ भाई ठीक नहीं है ... अपने हिसाब से चैनल चलाइये ... शिकायत नहीं ... पर जब न तब तेल निकालने पर लगे रहिएगा ... ऐ भाई आप ही लोग जनता जनार्दन हैं ... फैसला कीजिये ... ठाकुर जी पटना में रहे महुवा से नशा पैदा करते रहे ... एक्को बार बाज़ार में नहीं गए ... बैठे बिठाए खेलते रहे ... लेते रहे रहे ... हाँ इ गलती हो गया की सड़क से चुनकर उठाये और भाप पर चढ़ा कर नशा पैदा करते रहे ... पर इ कौनो बात है की जब चाहिएगा ... हवा ऐसे थोड़े निकाला जाता है ... तरीका नया अपनाइए ... ठीके बनारसी है ... |

तो सायबान आपके लिए खबर इ की ठाकुर जी अब देसी कंपनी से बाहर ... अब फिर झाजीवा ताल ठोकेगा... आया ऊंट पहाड़ के निचे ... पर यह गलत है ... ठाकुर जी गलती किये तो का मतलब ... उनके साथ भी ऐसे ही होगा ... न ... इसका विरोध करेंगे तबतक जबतक की बेचारे ठाकुर जी का माल ख़त्म ना हो जाए और ठीके पहाड़ के निचे ना आ जाएँ |

वैसे कहावत ठीके है ... बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए |

जय हो