गुरुवार

खबरदार अब भी चेत जाओ

जय हो

जय हो! आज सिर्फ उस राजीव मिश्रा के लिए है जो खाता तो है मौर्या टीवी का पर गाता है सुप्रीमो के साले का! बनकर आया चैनल का प्रोजेक्ट चीफ और करनी तो देखिये ! प्रकाश झा को बेत्तिया के चुनाव में पराजित करने वाले सुप्रीमो के साले का सबसे करीबी और बिहार का सबसे बड़ा दागी जिस पर सीबीआई की नज़र रहती है और जिसे कोई भी अपने घर में नहीं ले जा सकता क्योंकि इसकी बुरी नज़र घर की बहन बेटियों पर रहती है जैसे लोंगो को मौर्या चैनल के दफ्तर में घुमा रहा है जो दागी है ! क्या आरोप नहीं है इस पर !

पटना का वह मामला आज भी लोंगो की आँखों में जिंदा है ... "शिल्पी गौतम" घटना को भुलाये नहीं भूला जा सकता ! इस घटना में सुप्रीमो के साले के साथ ये भी आरोपी था और उसी आरोपी को चैनल के दफ्तर के अन्दर..... छी छी ... शर्म आनी चाहिए ! चैनल के भीतर लड़कियां है जो भरोसे पर यहाँ काम करने आती है वह ऐसे आरोपी को लाने और घुमाने का क्या मकसद है राजीव मिश्रा ! क्या चाहते हैं की लड़किया को दिखा कर आप .... राम राम !
यह बताना जरुरी है की आजकल राजीव मिश्रा चैनल ऑनएयर करने की वजाय ऐसे ही महारथियों के साथ शाम गुजारने में यकीन रख रहे हैं ! शाम हुई नहीं की सीधे व्हाइट हाउस का रुख ! यह कितनी बुरी बात है ! पर प्रभात झा नहीं समझ पा रहे है ! राजीव मिश्रा की औकात ही यही है ! तीन डबल्यू के बिना यह रह नहीं सकता है !
१. डबल्यू एक : वाइन
२. डबल्यू दो वूमेन
३. डबल्यू तीन वेल्थ

यही है राजीव मिश्रा का जीवन और इसी को पाना उसका लक्ष्य भी है ! आज कल दागियों के साथ दोस्ती रचा कर वह चाहता भी है की मौर्या कर्मी उससे डरकर रहें ! और इसी कारण वह रात को अपने कर्मियों को फ़ोन कर गलियाता भी है और धौंस भी देता है देख लेने की ! असल में राजीव मिश्रा बेत्तिया की हार का मज़ा लेना चाहते है वह भी प्रकाश झा के पैसो पर ! खैर जो भी हो इज्ज़त जा रही है प्रकाश झा की और मज़ा ले रहा है राजीव मिश्रा !

लोभी के गाँव में ..........

जय हो

अब लगता है मौर्या टीवी का दिन बहुरने वाला है ! चैनल के बिग बॉस के आने की तारीख नज़दीक आ गयी है ! सबकी निगाह भोपाल से आने वाली गाडी पर टिकी है ! पर बिग बॉस के आने के बाद क्या होगा ? इस सवाल से परेशान सिर्फ तीन लोग ही है ! इन तीनो को पता है की आने के .................. कर दिया जाएगा ! तीनो के पास अब कोई रास्ता भी नहीं बचा है ! बांकी सारे दरवाज़े इनके लिए बंद पहले ही कर दिए गए थे !
वहीँ प्रभात झा ने मौर्या से लगता है की नाता तोड़ लिया है ! चैनल की तरफ देख भी नहीं रहे हैं ! किसी से कोई बात भी नहीं करते ! आखिर भले और सज्जन जो ठहरे ! लफंदरो ने तो फसा ही दिया था! सबसे बैर करा दिया ! कोई बात नहीं मंदिर की मूरत के साथ यही होता है !
एक बात पर जरा गौर करिए ? चैनल के इस हालत के लिए जिम्मेवार को तलाशना हो तो अंगुली किस पर उठेगी ! प्रभात झा पर ! यह सच्चाई है ! अपना दिमाग घर छोड़ आये और लफंदर के कहे अनुसार चलने लगे तो क्या होगा ! प्रभात झा को यह भी समझना चाहिए की लोभी के गाँव में ठग भूखा नहीं रहता ! प्रभात झा पत्रकार बनने का सपना क्या देखे की उतार लिया लंगोटी ! खैर अब तो सब समझ गए ना जिलेबिया दाँव! चलिए आपको ऐसी की तैसी करने वाले नहीं बचेंगे और लफंदर तो भागेंगे ही सो अब सम्हल कर दाँव खेलिए !
जय हो