सोमवार

यह भी ठीक नहीं है

जय हो

पटना के पत्रकारों को प्रेस क्लब की होली मुबारक हो ! कितना अच्छा लगा जब जमकर डांस और दारु और गुलाल के बाद एक दुसरे की पिटाई का आनंद हैं ना मजेदार ! तो भाई साहब ये लोग पत्रकार है ख़ास करके अपने को समाज के चौथे पंक्ति के नंबर वन के दावेदार ! भाइयों ने फ्री का इतना दारु पी लिया था की होश खो बैठे थे ! कुर्सी छोड़ जमीनपर बैठ कर पीने का आनंद भी लिया और लग रहे वल्गर ठुमके का चक्षु आनंद भी ! कोई चुकने को तैयार नहीं ! असल में पूरी कहानी आपको ऐसे समझ में नहीं आएगी तो कद्रदान भाइयो कि करतूत जानने के लिए पूरी कहानी सुन लीजिये !
कहानी की शुरुवात है २७ फरबरी २०१० से ! देश के सबसे तेज़ चैनल में काम करने वाले कैमरा मैन नदीम आलम ने एक मीडिया कंसल्टेंसी कम्पनी को मीडिया मिलन कराने कि जिम्मेवारी ली ! जगह तय किया गया वही पटना प्रेस क्लब की बिल्डिंग ! बैंक रोड स्थित इस भवन को अभी भी बिहार का भवन निर्माण विभाग ही देख रेख कर रहा है सो भाई नदीम आलम ने अपने चैनल के नाम पर मंत्री से मिलकर एक दिन के लिए ले लिया ! पटना के पत्रकारों को एसएमएस भेज कर निमंत्रण दिया गया ! भाई लोग पहुंचे तो खुलासा हुआ कि यह किसी कंपनी का लौन्चिंग पार्टी है भाइयों को होली मिलन के नाम पर बुलाया गया है ! भाइयो ने फ्री में दारु मुर्गा देखा और देखा सलाम कि फूहर नाचने वाली लड़की कि भाइयो के लार टपकने लगा ! खुद तो आये ही जिनको नहीं बुलाया उसको भी बुला लिया aaja अरे चोखा पार्टी है फ्री में सब ...........! खबर पाते ही भाइयो ने दौड़ लगा दी ! जमकर पीने का प्रोग्राम शुरू ! खूब पीया ! इतना पीया कि याद ही नहीं रहा की भाई पासपोर्ट ब्रांड है ! चढ़ेगा तो सब कुछ उतार लेगा ! हुआ भी वही ! पहले माँ बहन ... फिर दारु के बोतल तोड़ी ... फिर प्लेट ! आयोजक भाइयो ने फिर इन पत्रकार भाइयो ko तोडना शुरू किया ! दे दना दन.... सब उतार दिया ... माफ़ी मांग कर भागे ! सुबह हुई तो पिटाई कि याद आ गयी ... बस फिर पहुँच गए खोजने आयोजको को ... और फिर दे दना दन ... इन लोंगो ने भी उतारी !
तो बनने के पहले ही प्रेस क्लब बिल्डिंग का लच्छन ठीक नहीं है ! शुरू से विवाद ! अब विवाद के साथ .... ? याद रखना भाई यह है पटना का पत्रकार और उसके प्रेस क्लब की बिल्डिंग ... ग्रह नक्षत्र दिखा लो भाई नहीं तो सकी होगी ...........!

जय हो