शनिवार

भयभीत पत्रकार

जय हो

नेपाल के मीडिया टायकून जमिम शाह की हत्या के बाद लगातार काठमांडू के मीडिया हाउस द्वारा इस हत्या को मीडिया पर हमला बताने की कोशिश करने वाले दो मीडिया ग्रुप को धमकी मिली है की वे जमिम शाह हत्या मामले में इंटरफेयर करना बंद कर दें नहीं तो उनका भी अंजाम बुरा होगा ! यह धमकी निश्चित तौर पर मीडिया को सीमा तक ही काम करने की आज़ादी देने जैसा है ! यह अलग बात है की जमिम शाह पर दाउदइब्राहीम से मिले होने का आरोप था पर २००४ में जमिम ने यह साफ़ कर दिया था की उसका और उसके स्पेस टाइम्स का दाउद से कोई लेना देना नहीं है !
जमिम की हत्या काठमांडू में बिलकुल फ़िल्मी अंदाज़ में कर दी गयी थी और इस हत्या के बाद वहां टेलीविजन ब्रोडकास्टिंग असोसिएसन ने मीडिया की सुरक्षा की मांग की ! पर अभी हाल में कांतिपुर टाइम्स के पत्रकार और पब्लिशर को फोन और मेल से धमकी दी गयी है !
नेपाल में पत्रकार दस सालो बाद मार काट के बाद खुली वादियों में सांस ले रहें है और ऐसे में छोटा राजन हो या दाउद के लोग इन्हें पत्रकारों को धमकाने का कोई अधिकार नहीं है ! क्योंकि पत्रकार तो जमात है कभी मरता नहीं और ना ही मरेगा !

जय हो

गुरुवार

खबर पक्की है कि बच गए ...

जय हो

राजनेताओं के चक्कर में पत्रकार को नहीं पड़ना चाहिए इससे हमेशा जान जोखिम में रहता है ! अब देखिये ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के बिहार के अध्यक्ष ललन सिंह में दरार क्या पड़ी की भाई पत्रकार लोग खेमा के चक्कर में पड़ गए ! दोनों नेताओ के करीबी माने जाने वाले अखबार और उसके पत्रकार अपनी अपनी गोटी सेट करने लग गए ! पटना से प्रकाशित दैनिक जागरण ने तो मुख्यमंत्री को शराब माफिया का सपोटर बताने के लिए एक खबर ब्रेक किया कि सी एम निवास में घुमने वाले कई नेता करोड़ पति बन गए हैं ! खबर बिहार के आबकारी मंत्री जमशेद अशरफ के उस लेटर को लेकर बनाई गयी जिसमे उन्होंने सी एम को इसे रोकने के लिए कहा था ! यह लेटर उडाई गयी ... और ललन सिंह और सी एम में तना तनी बढ़ गयी ! तहकीकात के बाद पता चला कि पहले इस लेटर को लेकर बिहार के बड़े आई ए एस अफजल अमानुल्लाह कि पत्नी और स्वयंसेवी संस्था चलाने वाली प्रवीण अमानुल्लाह हाई कोर्ट जा चुकी थी और इसे कोर्ट ने ख़ारिज भी कर दिया था ! पर मसला ललन सिंह का फेवर करने का था ! सो खबर छाप कर सरकार की ऐसी की तैसी कर दिया ! सी एम हिल गए ... तो कभी सुपर सी एम माने जाने वाले ललन खिल गए ! पत्रकार सुभाष पाण्डेय की पीठ ठोकी गयी ! पर मामला बिगड़ गया ! पाण्डेय जी का सी एम हाउस में........ नो एंट्री ! खेल ही बिगड़ गया ... अपटी खेत में जान फंस गयी !

वैसे जात जमात तो ठीक है पर पत्रकारिता को इससे दूर ही रखना होगा ! घटनाएं होती है ... आम तो सीख लेते है पर ये बेलगाम घोड़े सीखते नहीं ! अब देखिये पटना में पत्रकारों कि जमात जात , धर्म , कर्म, दलाली , हलाली के साथ ही चलता है ! यहाँ आई ए एस भी ऐसे ही बंटे हैं ! दलाली हलाली का धंधा चोखा बन गया है ! पत्रकार अब सेक्युरिटी एजेंसी चलाने से लेकर होर्डिंग तक टांगने लगे है तो कई लोग अब रिकवरी एजेंट बन गए है .. तो कई अब भी अपराधियों के मुखबीर है ! कई तो लालू ... पासवान और नीतीश कुमार के बीच ख़ुफ़िया एजेंट बन गए है तो कई व्यवसाईयों के लिए काम कर रहे है ! हर का धंधा ... वेतन से काम नहीं चलता ... उपरी चाहिए ... भाई इनका दर्द भी तर्क पूर्ण है कि डाक्टर , वकील , टीचर , का प्रक्टिस है तो ये क्यों चूंके .... मत चूको चौहान ... चूको मत ... लूट लो .. तुम लोंगो से भी भडोसा उठ गया ! लेकिन सलाह यह अखबार को बिकने दो ... तुम सामग्री मत बनो !नहीं तो अभी बचे ... कल बात लग जायेगी !

जय हो

शुक्रवार

पैसो के लिए मारा मारी

जय हो

हम यह नहीं कहते कि ज़ीने के लिए पैसे नहीं चाहिए पर अपनी अस्मिता को बेच कर या अलग रख कर नहीं करना चाहिए ! इससे कहीं ना कही बदनामी होती ही है साथ ही आपकी इमेज भी टूटती है ! देखिये परम्पराओं का टूटना अच्छा माना जाता है पर छवि पर अंगुली नहीं उठनी चाहिए !वैसे मैंने यह तय किया है कि किसी ख़ास या व्यक्ति विशेष पर इस ब्लॉग में नहीं लिखूंगा ! पर लोंगो कि करतूत से जब हिल जाता हूँ तब अपने को रोक नहीं पाता और लिखना पड़ता है ! अभी की ही कहानी है मौर्य टीवी को लौंच करना था ! पटना के एक टायकून टीवी पत्रकार ने प्रकाश झा और उनकी टीम को अपने बिजनेस का हाल दिखा कर पटना में होडिंग टांगने का ज़िम्मा ले लिया इसके लिए काफी पैसे भी दिए गए ! और अचानक ही पटना के सारे बाज़ार में मौर्य टीवी का होडिंग दिख गया ! पर यह होडिंग एक दुसरे टीवी वाले भी लेना चाहते थे ! उनका भी पटना में अलग मीडिया से जुड़ा धंधा है ! सरकार से लेकर सड़क तक के सारे बिजनेस भाई साहेब लेना चाहते है ! ऊँची बिल्डिंग में ऑफिस है सो सबको अपने नीचे मानते हैं ! लेकिन भाई को यहाँ गच्चा मिल गया ! ब्राहमण ने ब्राहमण को पहचान लिया तो गच्चा तो खाना ही था !पर भाई ने मान लिया मन के भीतर को मन लिया कि हे मन इस बार नहीं तो अगले बार !पर आगे तो इससे अधिक मामला गरम हो गया ! भाई को मौर्य टीवी के लौन्चिंग में शामिल होने के लिए कार्ड भेजा गया भाई के दोस्त पहले ही अन्दर चले गए थोड़ी देर के बाद सी एम आये और तब भाई पहुंचे या बुलाये गए कि भाई आओ सी एम अकेले है कुछ गोटी सेट करना है करलो... भाई भगा आया पर सेकयूरिती वालो ने गेट पर ही रोक लिया ... भाई को गुस्सा आ गया और वहीँ फाड़ डाला कार्ड ... कर दी ऐसी कि तैसी लेकिन किसी के सामने नहीं ..... चुपके से !
है ना मज़ेदाए मशालेदार जायका ! भाई का नाम बताएँगे अगले अंक मे !

आपको एक जानकारी खुलस४मीडिया अब डोट कोम में

जय हो

एन.डी.टी.वी. ने शुरू किया पत्रकारिता ट्रेनिग प्रोग्राम

हेड लाइन टुडे और अन्य टी.वी चैनलों की तर्ज़ पर एन.डी.टी.वी. ने ब्राडकास्ट ट्रेनिग प्रोग्राम
शुरू करने जा रहा हैं I नए पत्रकारों की फौज तैयार करने की एक कोशिश की जा रही हैं दस महीने का यह ट्रेनिग प्रोग्राम एन.डी.टी.वी. के चर्चित और अनुभव प्राप्त पत्रकारों के द्वारा दिया जायेगा i इसके लिए सभी इक्छुक उमीदवारों को पहले एक लिखित परीक्षा से गुजरना होगा ,जो उमीदवार इस लिखित परीक्षा में सफल होंगे वही साछात्कर में शामिल होंगे I चालीस लोगो का दो बैच अप्रैल और अगस्त २०१० में शुरू होगा जिसके लिए ऑनलाइन फॉर्म ndtvmi.com से डाउनलोड किये जा सकते हैं I फॉर्म की कीमत १०००/- रुपये हैं और पुरे कोर्स का फीस लगभग दो लाख रुपये हैं I उमीदवारों की उम्र २८ वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए I सफल उमीदवारों को ट्रेनिग पूरा करने के पश्चात एन.डी.टी.वी. के अलग अलग चैनलों ( एन.डी.टी.वी इंडिया ,NDTV 24X7, NDTV Profit ,NDTV Good Times ,NDTV Hindu) में इनटर्न के तौर पर नौकरी मिलेगा I पत्रकारिता के अलग अलग आयामों को ट्रेनिग प्रोग्राम के दौरान क्लास रूम और फिल्ड वर्क के द्वारा समझाने की कोशिश की जाएगी I

रविवार

दलाली संस्कृति ही सबसे आगे

जय हो

सच का सामना करना कठिन ही नहीं मुश्किल भी है ! बिडले ही होते हैं जो सच का सामना करने का जोखिम उठाते है ! पर सच का एक बार सामना कर लेने के बाद जिंदगी जीने की कला से आप परिचित हो जाते है ! आज एक सच से रुबरु कराने का जोखिम मै ले रहा हूँ ! आपको बताना चाहूँगा कि पटना में एक प्रेस क्लब की बात बिहार के मुख्यमंत्री ने की और उसके बाद पटना के पत्रकारों के बीच तूफ़ान उठ खड़ा हो गया ! हर शख्स इस प्रेस क्लब पर काबिज होने के लिए रणनीति बनाने लग गया ! कोई स्वयंभू अध्यक्ष बन गया तो कोई सचिव तो कोई अपनी सामर्थ्य के हिसाब से गोटी बिठाने लगा कि कैसे काबिज हुआ जाय ! एक सच के साथ एक ग्रुप बनाया गया जिसमे चुनिन्दा पत्रकार शामिल थे , एक ट्रस्ट बनाकर सामने आये और ऐलान किया किया प्रेस क्लब बनायेंगे और पत्रकारों के कल्याण की बात करेंगे ! अब इनका मकसद जो भी हो पर इन्होने कदम उठाया और प्रेस क्लब की नीव रख दी ! जगह तय हो गया ... सरकार ने मान भी लिया और लगभग फाइनल हो गया की पहली बार पटना प्रेस क्लब बन जाएगा !
यह मै मानता हूँ कि ट्रस्ट बनाने के समय जाति... गुटवाजी को तरजीह दी गयी ... हो सकता है .... सब दूध की तरह सफ़ेद नहीं हो सकते है !गलतियां तो इन्सान से ही होती है और हो गयी ... पर इसके लिए कितना बवाल हुआ ... बाबा रे पहली बार लगा कि पटना के पत्रकारों के भीतर का जंगल राज़ सामने आ गया ! तन गए सब ... क्या नहीं हुआ ... माँ बहन तक की गालियाँ ... सिर्फ ठाय ठुएँ नहीं हुआ ! बड़ी बदनामी हुई ... ब्लॉग खोले गए ... दो गुट हो गए ... एक दुसरे के खिलाफ मामले तलाशे जाने लगे ! आप को मालूम है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ ? मै बताता हूँ ! दरअसल इस ट्रस्ट में पटना के स्यंभू बड़े पत्रकार कन्हैया भेलाड़ी जी को इससे दूर रख नए इनरजेतिक पत्रकारों ने कमान सम्हाला था ! किसी को नहीं पचा ! इवन गंगा प्रसाद , नलिन वर्मा सहित सारे सीनियर खिलाफ थे ! शुभाष पाण्डेय ने तो अपने अखबार में लिख तक दिया ! खैर , यह तो पुरानी बात हो गयी !
अब इस घटना के एक साल बीत गया ! बाद में अरुण अशेष के नेतृत्व में कमिटी बनी और तय हुआ कि पहले पत्रकारों का रजिस्ट्रेसन हो जाय ! शर्तें राखी गयी तो इसमें भी विवाद ... नए विडियो रेपोटर को इससे दूर कर दिया गया ! तब भी लोंगो ने फ़ार्म भर कर अपना रजिस्ट्रेशन कराया ! लेकिन मामला वही ढाकके तीन पात ! तहकीकात करने के बाद पता चला कि जब कुछ लोंगो को लग गया कि इस प्रेस क्लब में दाल नहीं गलने वाली है तो सी एम को समझा दिया गया कि ऐसे में पत्रकार चुनावी साल के कारण विरोध कर सकते है ! यानी यही से शुरू हो गया दलाली संस्कृति ! दरबार तक पहुँच गए पटना के पत्रकार और लगा दिया बाट प्रेस क्लब पर ! ये वही लोग हैं जो शुरू से नहीं चाहते थे कि पटना में प्रेस क्लब बने ! इन्हें तो लगा कि प्रेस क्लब बन गया तो सत्ता उनके हाथ से चली जायेगी ! न्यू कमर के हाथ सत्ता ... बैठके हुई ... टीचर से लेकर बोद्का तक की पार्टी चली तो बिना पेंदी के लोटा पत्रकार अपने अपने अखबार के मेंबर का लिस्ट लेकर घुमने लगे ! तो कोई पत्रकारों को अपने दफ्तर में बुलाकर लड़कियों से मिलवाने लगा कि आप अध्यक्ष और फलांना सचिव ! हर किसी ने जो किया प्रेस क्लब के लिए उसे नए जेनरेसन के पत्रकार माफ़ नहीं करेंगे ! ख़ास कर सी एम के दरवारी को तो चिन्हित कर लिया गया है !
अब सवाल है कि ये दल्ला लोग कब सुधरेंगे ! तो मेरे विश्लेषण यह कहता है कि दरबारी होने के लिए जो अपनी रीढ़ कि हड्डी को भूल सकता है ऐसे बेशरम से तो बेहतर है कि नहीं बने प्रेस क्लब !

जय हो

शनिवार



जय हो

यह कैटरिना ही कर सकती है ! भाई को भाई से मिलाने का .... दुश्मनी को दोस्ती में बदलने का ........ और एक दोस्त को दोस्त से मिलाने का काम ! वैसे यह काम गोवा गुटका का स्वाद भी नहीं कर पाया ! आप अक्सर यह विज्ञापन अपने टेलीविजन स्क्रीन पर देखते होंगे ! पर कैटरिना का कमाल है ! यह रामविलास पासवान को अब सोचना चाहिए की कैटरिना को अपनी पार्टी में ले आयें सब मिल जायेंगे ! सारा प्यार नहीं ... सारा बिहार अपना हो जाएगा ! एक और राज़ की बात प्रकाश झा और वे भी साथ हो जायेंगे !

दरअसल कैटरिना कोई बिहार के सी एम की फैन नहीं है ! अक्सर नेता ही उसके फैन है ! पर भोपाली मिटटी ने बॉस को अक्ल दे दिया और तय हो गया की फिल्म राजनीति ही नहीं रियल लाइफ की राजनीती भी अब दोस्त के साथ ! पर प्रकाश जी , जरा सम्हाल कर... राम विलास जी को डूबा चुके है यह ये भी जानते हैं ... इसलिए कह भी दिए सीधे मंच पर ही कैसी राजनीती दिखायेंगे यह तो वक्त ही बताएगा ! पर कैटरिना को छोड़ियेगा नहीं ... नहीं तो सब बंटाधार !

एक बात तो माननी पड़ेगी भाई कि.... भय बिन प्रीत ना हॉट गुसांई ... नहीं समझे ! कोई बात नहीं हम बताये देतें है कि भय क्या है ? मौर्य टीवी की लौन्चिंग पार्टी में आप गए थे नहीं ना ! यशवंत से मिले थे .... नहीं ना ! यशवंत वहीँ हैं ... भड़ास वाले ! बॉस ने फ्लाईट से आने जाने का किराया दिया ... बढ़िया होटल में ठहराया ... उम्दा शराब ... क्या चाहिए ... सब मिला ! साथ में विज्ञापन तो चल ही रहा है ! चरण वंदना संस्कृति ने आव .. भाव बढ़ा दिया ! लगा जैसे भड़ास४ मीडिया चैनल को हीट करके ही दम लेगा ! पर कैटरिना से हाथ नहीं मिला पाया ... मनोज तिवारी से ही संतोष करना पड़ा .. वाजपेयी तक हाथ नहीं मिलाया ! ऐसा ही होता है ! ख़ासकर प्रकाश झा के साथ रहने पर ! उलटे सबको बता भी रहें है कि यशवंत पर डेढ़ लाख का खर्चा ! थैंक्स ... ब्लॉग बेचने के लिए ! अब किसी की शादी , जन्म दीनपर भी लिखो भाई !

सच की मुनादी भी कर दी ... अरे बिहार में एक कहावत है ... नउवा देख ..... में बाल ! वही हो गया यशवंत तुम्हारे साथ ! बेपेंदी के थे और हो भी गए ! वैसे बेचने के लिए ... पत्रकारिता नहीं है भाई !
चलो सीख नहीं है .. गिरेबान में झाँक कर लिख रहा हूँ ... थोड़ी भी बच गयी हो ... लिख मार भाई !चलेगा ... ?

जय हो