रविवार

नीतीश जी नीतीश जी क्या हुआ आपको

जय हो
 
फणीश्वर नाथ रेणु की किताब " परती परी कथा " में राजनीति का विश्लेषण अब जाकर साफ़ हुआ है जब गुजरात की जनता की ओर से भेजा गया राहत की राशि को माननीय नीतीश कुमार ने अपनी राशि समझ लिया और नरेन्द्र मोदी के पटना दौरे के दौरान छपे विज्ञापन के कारण आतिथ्य सत्कार भी भूल बैठे ! चलिए यह माना जा सकता है की नीतीश कुमार को शुरू से ही नरेन्द्र मोदी से परहेज रहा है  ! पर गुजरात की जनता से क्या परहेज ! गुजरात की जनता ने कोसी आपदा के समय जो मदद भेजी उसे कोई बिहारी तो नहीं भूल सकता है ! भले ही नीतीश कुमार जैसे लोग जो राजनीति की वजह से अपने परिवार तक को छोड़ दिया को मदद को समझाना  ना मुमकिन है !

आज पूरे देश के लोग बिहार के इस नए ठाकरे को देख रहें है जिसके पास ना जनाधार है और ना ही किसी सीट से  जीतने की क्षमता ! जिस थाली में खाया आज उसी में छेद करने पर उतारू नीतीश कुमार को बी जे पी के साथ का लाभ तब समझ में आयेगा जब पिछडो की राजनीती और उनके वोट बैंक पर एक साथ लालू यादव , कांग्रेस , सीपीआई , माले , हमला करेगी और दलित वोट पर पासवान और सारे दल चोट करेंगे तब औकात सामने आ जाएगा ! अभी तो सत्ता में बैठे रहने से अभिमान तो बढ़ ही जाता है !

शायद यह सभी को याद हो की जिस कोसी आपदा को लेकर नीतीश कुमार तने हुए है ये बताएँगे की १४ जिले उजारने के कितने घंटे बाद ये पहुंचे थे ? पुरे विश्व के सामने मदद के लिए आंसू बहाने का नाटक कर रहे थे और इनका महकमा और इनके मंत्री और अधिकारी केंद्र को सही जानकारी तक नहीं दे रहे थे कि छति कितनी हुई ! आज विश्व के मदद को वापस करने कि एक नयी परम्परा की शुरुवात कर रहें है !

लेकिन बिहार की जनता इस घटना को भूलने को तैयार नहीं है !जनता के फैसले को अपना अधिकार नहीं समझाना चाहिए नीतीश जी ... नीतीश जी यह रहत आपके घर के लिए नहीं आया था ! आपने तो यह कहकर राज्य को और शर्मिंदा कर दिया कि आप कोसी की पीड़ा झेल रहे तक राहत की राशि तक नहीं पहुचाये !


जनता आपको माफ़ नहीं करेगी !

जय हो