शनिवार

खबरदार जो दलाल कहा जीभ खिंच लेंगे

जय हो

यह मुनादी है की दलाल को आप दलाल नहीं कह सकते है चोर को इमानदार बताना होगा नहीं तो ... यह फैसला है पटना के उन नामचीनों का जो आजतक सिर्फ और सिर्फ दलाली ही करते रहें हैं ! कभी उसकी तो कभी सत्ता की तो कभी उन बेईमानो की जो ना तो बाप के हुए और ना ही माँ के ! उनकी दलाली से फायदा ये की रातो रात लक्ष्मी बिना मशक्कत के आ गयी ! लक्ष्मी आ गयी तो उसे बचाना भी है ! इसके लिए भी दलाली पर खबरदार जो दलाल कहा जीभ खिंच लेंगे !

अब आप समझ गए होंगे की तालिबान से भी कड़े लोग हैं ! चाबुक से नहीं वल्कि आपको सेट कर देंगे वो भी ऐसा की पानी नहीं मिलेगा ! पर बंधू एक आप ही नहीं शेर पैदा हुए हैं यहाँ शेर पर सावाशेर भी हैं जो दलाल को दलाल , चोर को चोर कहने की हिम्मत ही नहीं माद्दा भी रखते हैं ! अब तक आँखों पर पट्टी बाँध कर धर्म राज की भूमिका अदा करने वालो ने नहीं सोचा की गलतियाँ हर इन्सान से होती हैं पर उन गलतियों को सुधारने की कला होनी चाहिए ! धर्मराज की तरह हर गलती पर चुप रहना भी अपराध है !

यह सही है की सच बोलने लिखने के लिए खुद को मज़बूत करना होता है ! चाणक्य की धरती पर राजनीति और रणनीति की जानकारी सब को है ! लिहाज़ा होना यह चाहिए की सच के साथ षड्यंत्र का विरोध हो ! कलम के सिपाही का काम ही यही है ! चलिए यह तो एक सुझाव है ! माने तो ठीक ना माने तो भी ठीक ! मेरी लेखनी ऐसे की खिलाफ रहेगा !

जय हो