मंगलवार

ना घर के ना घाट के

जय हो
सबसे बड़ा खिलाडी कौन ... जरा दिमाग पर जोर डालिए ! कोई मिला ... नहीं मिला ... अब दिमाग पर जोर नहीं प्रेसर डालिए ... मिल गया होगा उत्तर ! तो बंधुवर खिलाडियों के दौर में जो खिलाडी नहीं बन पाए उन्हें अनाड़ी नहीं चूके हुए महारथी कहा जाता है ! अब देखिये ना बिहार के सी एम नीतीश कुमार को पत्रकारों ने महिला बिल मामले पर घेरना चाहा ... विधान सभा से लेकर मौर्या होटल तक ... लेकिन खिलाडियों ने तय कर दिया की सी एम अभी नहीं बोलेंगे ! सी एम को भी लगता है की फ्री का प्रेस अटैची ... हर जगह मौजूद ... बाथरूम से विधान सभा तक ... अच्छा लगा सो एकदम साथे रख लिए है ! खिलाडी भी खुश ... अधिकारी नाराज़ ... गोटी सेट करने लगा है ! खिलाडी को पता नहीं की भाई यहाँ फूट्वौल तो ठीक कि अभी आप खेल रहे है पर यहाँ के बाबू लोग धोबिया पाट में मास्टर डिग्री धारक है ! एके बार में चारो खाने चित्त ! पर खिलाडी भी क्या करे ! टीम में और भी है पर भडोसा किसी पर नहीं कर सकता ... सबके सब ताक में लगे है मौक़ा लगा नही की गला रेतने चूकेगा नहीं ! सो पहले से ही अलर्ट है ! टीम के मेंबर भी चाह रहा है की एक बार चमचा संस्कृति से यह चुके कि बस ....! चमचा नहीं चरण वंदना के नयी पद्धति ला देगा ! इसके लिए कमर कस चुका है! अब देखिये ना चमचा संश्कृति को जानने के लिए भाई नदीम ने प्रेस संश्कृति को ही बेच दिया ... चाँद पैसो की खातिर भाई ने ठेका लिया पैसा बचाया और माँ बहन की गाली खाया ! और तो और अपने आका को भी गाली सुनवाया ! जय हो इसी परंपरा की अब पूछ भी हो रही है ! विधान सभा में सी एम मीडिया के कैमरा मैन को देखेंगे और चेहरा घुमा चल देंगे जैसे दोयम दर्जे के लोंगो को देख लिया ! अरे भाई अभी चेहरा घुमाइए ना अक्तूबर के बाद ये भी कैमरा का रुख मोड़ लेगा तब टन टना जाइयेगा ! इस लिए भूल मत कीजिये खिलाडी तो ऐसे ही ऐसे खेल खेलता रहेगा ! क्योंकि बेचारे के पास मिडिया का कम अब नहीं है अब सिर्फ मैनेज का काम है और यह टीम के चेले कर ही रहे है ! तो इसी बात पर जोर से बोलिए भाई खिलाडी की जय !