शुक्रवार

घुंघरू के बोल

जय हो
बॉस आजकल मुश्किल में आ गए हैं !करना कुछ चाहते है पर हो कुछ और जाता है ! अब देखिये ना राजा ने पत्रकारों को बुलवाया और चुनाव प्रचार के अपने फैसले को बताना शुरू किया ! राजा की खूबी है आते ही पारखी निगाह चारो तरफ ... बॉस पर भी नज़र गयी ... बॉस मुस्कुरा दिया ... पर राजा की आँखों को बॉस के कुटिल मुस्कान के भीतर का फरेब दिख गया बस राजा ने तय कर लिया... बजाउंगा ... ऐसा बजाउंगा की बजना छोड़ देगा !हुआ भी वही !
राजा ने सवाल जवाब का दौर शुरू किया ... राजा का उत्तर एक बार जा रहा हूँ तो पहले चरण का प्रचार करिए को आउंगा ... जी ... जी ...जी एक सवाल है ... बॉस की आवाज़ गूंजती रही और राजा ने इग्नोर कर दिया ... एक सवाल है ... राजा जी ... पुराने दलपति ने कहा है कि मेरे पैरों में घुंघरू बन्हा दे तो फिर मेरी चाल देख ले ... राजा कि नज़रे ... तिरछी नज़रे उठी निशाने पर बॉस ... राजा कि आवाज़ या उत्तर ... तो आप नाच लीजिये ... ठहाका गुंजा ... राजा मुस्कुराए ... कैसा बजा बॉस ... अच्छा लगा ना
जय हो