शुक्रवार

सब देखते ही रह गए और ...?

जय हो



इसे कहते हैं दोस्ती ... ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे ... भले ही दलम के दलपति के साथ धोखाधड़ी हो जाय ... है ना इसे कहते हैं जान से ज्यादा प्यारी दोस्ती ... इसीलिए जब राजगीर में राजा घोड़ा युक्त तांगा से चल रहा था तो बॉस ठुमुक ठुमुक कर राजा के साथ राजधानी से राजगीर तक का यात्रा वृत्तांत सूना रहा था ... राजा ने कहा की... आप जैसा कोई मेरे ज़िन्दगी मी आये तो बात बन जाय ... बॉस की ठुमकती चाल पर उसके साथी मन ही मन जल रहे थे .... सा ...... अभीतक आदत नहीं गयी है ... दल्ला है सा... ! खबर दलपति के पुरानी हवेली भी पहुँच गयी कि तालीमास्टर फुदक रहा है ... राजा के साथ उनकी गाडी में राजगीर की यात्रा कर लिया है ... दलम के दलपति की टिपण्णी ... पिता पर पूत .... ? अब यकीन ना करके हो ... एक दमे सा... खतमे बा... जाय द... अब आई नु त कुकुरवा नाहित दौरा दिहे स ! लैकियों सबके भेजे ला कारे ... ओकरा नाहित का नाम रहे रे ... उ भडुवा के ... आज कल कहाँ बा एक दिन दिल्ली में घरवा पर आयल रहे ... ओकरे नाहित इहो ... का रे उ कहाँ बा ... ओकर गोतिबा ... घुसे मत दिहे ...




दरअसल बॉस को पाला बदलना जरुरी हो गया था ... दलाली बंद ... अधिकारी डर से किसी का भी फ़ाइल बढ़ाने से पहले जांच लेता था .. पत्रकार का नहीं हैं ना ... दलालवा का है का ... जाय दो यार उपरे से मना हो गया है !काम बंद .. राजा के घर जाने वाला कैमरा बंद ... विज्ञापन बंद ... रेस्टुरेंट वाला विज्ञापन से कितना दिन .. उहो विज्ञापन के बदले खाना फ्री ... जात जमात के दरवारी भी बात बंद कर दिए ... दिन खराब हो गया ... रात से नींद गायब ... राजा के घर की चाय ... बिस्किट ... ना अब नहीं आ सीधे पहुँच गए राजा के सामने ... तेरे घर के सामने एक घर बनाउंगा.. राजा मुस्कुराए ... दाहिने ... बांयें हथेली को मिलाये ... अरे नाराज़ कब थे उ तो आप ही इधर उधर कर रहे थे ... ! राजा भी भारी खिलाड़ी ... राजा भी इतने दिनों के अन्दर पुरानी हवेली के अन्दर खानों में क्या हो रहा है कि जानकारी चाह रहा था ... टार्गेट सामने आ गया ... बजा दिया !

तो अब बॉस को गौर से देखिये ... शाम को राजा के घर से निकलते ही फुदकने लगता है .... राजा की निकलेगी बारात नशीली होगी रात ...! जय हो