शुक्रवार

आधा घंटा ... पांच प्रोडूसर ... मिला घडी घंटा


जय हो

यह तो कमाल है ... यह देश लाइव में ही हो सकता है ... आधा घंटा का स्पेशल के लिए चैनल के पांच तोप माने जाने वाले प्रोडूसर दिन भर मगज मारी करते है और जब स्पेशल ऑन एयर पर जाता है तो बजता है ... घडी घंटा |आप समझ सकते है की इस चैनल को शील जी कुछ भी कर लें रास्ता पर नहीं ला सकते | अब आप पूछेंगे की भाई एक न्यूज़ प्रोग्राम के लिए पांच प्रोडूसर क्यों ... आधा घंटा के लिए पांच घंटे की एडिटिंग ... वह भी ... बिना ... समझ गए ... एक कहावत यहाँ फीट है ... राम मिलाये जोड़ी एक अंधा एक कोढ़ी ... यानी कि आप समझ गए होंगे ...मुंह में खैनी ... बढ़ी हुई दाढ़ी ... तो कोई बिलकुल दार्शनिक अंदाज में सफ़ेद बाल और आउटपुट हेड का तमगा ... एक तो अखबारी लाल ... यानी अब कुछ लिखने की जरुरत मुझे नहीं लगता ... और सैलरी औकात से अधिक ... भाई पैसा लेते है तो दिमाग कहाँ छोड़ आते है ... हाँ ... याद आया ... बेकार में लिख दिए ... चलिए ... औरों को तो बताने दीजिये कि आखिर आपका दिमाग कहाँ रहता है ... गायिका नाम वाली ... मानव ... को स्त्रीलिंग बनाने वाली ... या भगवान् से पूजा अर्चना करने ... खैर ... आप दिमाग को संतुलित कीजिये ... तम्बाकू खाकर अखवार की सम्पादकीय मत लिखिए ... समझ में आ जाए तभी कीजिये ... पांच खोपड़ी सत्यानाश ... बचा लेता है एडीटर ... नहीं तो गोल गपाड़ा |

वैसे इस चैनल को टिम्बक टुम्ब की श्रेणी में रखना ही उचित है ... जसे झुमरी तिलैया ... दो जगह ... नाम जुडा हुआ ... देश लाइव ... रांची से टेलीकास्ट और प्रोग्राम पटना से ... है ना टिम्बक टुम्ब ... बेचारे शील जी को तो इन प्रोडूसर के कारनामे ... क्या करेंगे ... पांच में से दो को तो इसी लिए निकाला भी था श्रीवास्तव ने ... पर तम्बाकू का स्वाद ही निराली है ...

भाई ... आधा घंटा के स्पेशल के लिए पंद्रह मिनट चाहिए ... दिमाग से काम लीजिये ... मन को शांत रखिये ... फागुन के वयार में मन बौरा गया है ... चित्त मन से... नहीं... दिमाग से कीजिये ... कामुक और उन्माद एक साथ नहीं ... काम करिए कामुक होकर ... मन में उन्माद मत लाइए |

जय हो

गार्ड मोबाइल नंबर माँगता है


जय हो

भाई जी के चैनल ... भाई जी का दफ्तर ... भाई जी का गार्ड सबकी जय हो ... यह जय नहीं किये तो गए ... सीधे नरक ... ऐसा नरक जहां खाना एक नबर ... पीना दू नम्बर ... ओढ़ना तीन नंबर और मोबाइल अलग से बतियाने के लिए ... तो आप पूछेंगे की खुलासा जी इसमें ऐसा क्या है ... तो बंधू इसमें जैसे ही गार्ड है ... पर्सनल गार्ड भी होगा तो समझिये ... निराशा नामक गार्ड ... इससे पुरुष नहीं डरते पर चैनल में काम करने वाली डरती है ... एक दुसरे को बताती है की ए इ गडवा तो मोबाइल नंबर मांगता है ... कहता है की अकेले में बतियाएंगे ... कौन चीज बतियायेगा ? गंदा है गार्ड |

यह जानकार आपको हैरानी होगी ... होनी भी चाहिए ... आखिर गार्ड को लड्क्यों के नंबर क्यों चाहिए |पर आपको लगता नहीं है की इस मोबाइल नंबर मांगने के पीछे कोई राज़ है ... |अब आप भाई जी के चैनल में काम करने वालियों से पूछ लीजिये ... भले वो यह कह दें की मुझसे नहीं फलां से माँगा था | पर चैनल में काम करने वाली हरेक लडकी इस गार्ड के नेक इरादे से इस कदर डरी हुई हैं की कोशिश में रहती है की सामने निराशा ना पड़े |अगर वो गेट पर होता है तो अकेले कोई नहीं निकलती |

बावजूद निराशा मस्त है ... भाई जी के चैनल की लडकियों पर नज़र ... खबरदार ... नंबर नहीं दिया तो |उपरा तो लेंगे ही |

जय हो

इनपुट हेड बोले तो प्राणे ले लेंगे


जय हो

आर्यन में उठा पटक दौर खत्म भी नहीं हुआ है कि एक समस्या सामने आ गई है। वह है चंदन से बदन बाले का गुस्सा। बिहार की पत्रकारिता में इनकी गिनती पिछलग्गू की होती है...वह भी ...वेश सिंह के पिछलग्गू की...इ महाशय वहीं वहीं गये जहाँ ...वेश सिंह ने इस्तीफा दिया या जहाँ से उसे बाहर का दरबज्जा दिखा दिया गया। अपनी आदत से लाचार ...ये चन्दन वदन वाले पत्रकार फिर से उसी जगह पर गये जहाँ से नाम के वेश बाबू को धकिया कर निकाला गया था।

अब देखिये ना चन्दन वदन वाले भाई जी को जब साधना टीवी ने शिमला का सैर करवाने का इरादा किया तो सर्दी जुकाम जैसे रोग से पीड़ित चन्दन वदन ने साधना से नाता तोड़ लिया और अपने बेरोजगार हो गये|इधर उधर काफी पैर पटके पर इनके सामने आर्यन टीवी का ही एकमात्र ओपसन बच गया ... मौर्या ... देश लाइव ... ने भी जगह के अलावे कोई दूसरा विकल्पे नहीं था...मौर्य में भी पूरी कोशिश किये ... पैरवी ... वह भी छोटके भैया से ... चन्दन वदन को पता ही नहीं था की भाई जी ने छोटे भाई जी के चैनल में प्रवेश प्रतिबन्ध लगा दिया है ...बेचारे को कोई पूछता नहीं है|छोटे भाई जी चैनल में इंट्री के लिए खुद ही पैरवी खोज रहें है तो चन्दन वदन को कैसे भरोसा दिलाते ... सो छोटे भाई क्या कहते ... लम्बी सांस लेकर बोले भी ... लेट आईला हो ... देख तानी ... चैनलवा त हमरे नामे बा पर ... अच्छा ठीके बा जा तैयारे रहेके ...|

चन्दन वदन वाले पत्रकार जी खुश कि अब तो बैतरनी पार...लेकिन होइहैं वही जो राम रचि राखा ... ले बलैया इ बात भाईजी को पता चला तो उन्होने छोटे भाई जो को खबरदार कर दिया ... कुछ दिन तक तो श्रीमान चन्दन वदन वाले...तिया ...बनते रहे पर इसी बीच मिश्रा जी ने आर्यन का तोहफा भेजा और झट से पहुँच गए कामेश्वर सिंह काम्प्लेक्स और दौड़ कर चढ़ गए ... ल ऊपर आये त साँसे उखड गया ...पानी पिए और तबसे वहीँ का पानी पी रहें हैं |

आर्यन टीवी में जबतक सांस रुकती तभी मिश्र जी भी इतिश्री पा गए ... फिर झंझट... बने इनपुट हेड पर ... बोल के देखिये ... सब ... घुसार देंगे ...विश्वाश नहीं है त जाइए और कहिये कि इनपुट हेड चन्दन वदन से मिलना है ...अगर सुन गए तो वहीँ पटका पटकी कर देंगे ... माँ बहन बोनस में ...उस दिन देखिये ना उनका ही अक स्टाफ बोल दिया बस ऐसा उखड़े कि अभी तक शांत नहीं हो पाए उसकी गिलती इतनी ही थी... उनको इनपुट हेड बोल दिया...हत्थे से हथ्था लेकर ही उखङे... बार बार सभी को मना कर रहे थे... खबरदार... सावधान... जुबान पर लगाम ब्यूरो चीफ बोलो... कोई मुझे इनपुट हेड बोला तो...अरे...सा ...ला... पोल्टिक्स ... मार्केट खराब करना चाहता है चूति...या ... अपना धंघा ही चौपट कर देगा...आपको मालूम है... है न... उनका धंधा... सुन लीजिए...टीटीएम... ताबड़ तोड़ तड़का वाला तेल मालिश ...जो दे दाम उसका कोई चोवाईस नहीं ... इनपुट हेड...इसी लिए ना रे बाबा ... चीपे ठीक है |

जय हो

सइयां भये कोतवाल तो डर काहे का

जय हो

भैय्या की जय हो |सइयां भये कोतवाल तो डर काहे का... पुराने नाम वाले चैनल में टोपी वाले बाबा ने कमान संभाल है...ला...की तो पौ बारह हो गई है...कोई किसी को टेरवे नहीं करता है...सब ला...सब सा ... ताव में ही रहता है....रे बोलेगा...कल तक मिश्रवा था तो तुम लोग बड़ी उछलते थे...अब हमारा राज है...समझा रे झाजीवा |

इनपुट और आउटपुट के दूगो सदस्य किसी बात पर उलझ गये...पिछले पांच दिनों से चलती में रहने वाला वर्मा वोला...रे काहे टर्र टर्र करता है...चंदन वदन को बुरा लग गया...बोला पिछले पांच दिनों से तुम बहुत उड़ने लगे हो...अच्छा नहीं होगा...संभल जाओ...रे भाई ... इ वर्मा भी ... आ गया ताव ...बोला....तू क्या देखेगा रे...तुम्हारा मिसरवा तो अब गया...अब जो हम कहेंगे ऊ करना पड़ेगा...ई बात सुनते ही ... भैया चंदन वदन वाले पंगा जी भड़क गए... एक हाथ से पैंट संभालते हुए... दौड़ पड़े... याद आ गया गुरु का खेल ...कैसे बेतिया वाले झाजिवा को गुरु ने ... बस क्या था सब हो गया मुंह से माँ बहन सामने लूट गयी और ये पीठ थपथपाते रहे और... पब्लिक... लिया ... उ नहीं मज़ा ...देखेगा...इतना दिन भी अभी ख़राब नहीं हुआ है...ऐसी की तैसी कर देंगे...बात बढ़ गई...मां...बहन तक बात पहुंच गई...इतने में टोपी वाले गिन्जन बाबा को भनक लगी...बीच बचाव करने के लिए दौड़े...अब दोनों ... पर... अड़ गया...इसके हटाओ नहीं तो हम इस्तीफा दे देंगे...

बाबा भी सोच में पड़ गये...ले लोटा....ज्वाइन करने के दो दिन बादे चार गो छोड़ गया....अब अगर इहां लफड़ा हुआ तो सब गुर गोबर हो जाएगा....जाति वाले को हटा नहीं सकते...और दूसरे को हटाया तो वैसे ही बदनाम हैं....फुल खिलने से पहले मुरझा जाएगा.....किसी तरह दोनों को शांत किया....मामला तो फिलहाल शांत हो गया...लेकिन दोनों मिलकर इतना बड़ा नाटक खड़ा कर दिया है...बाबा एक बार फिर से टेंसन में हैं कि एक बार तो किसी तरह मामला शांत हुआ लेकिन अब होगा तो क्या करेंगे.... बेचारे यही सोच कर परेशान हैं।

जय हो

फूल ड्रेस टाईट हैं तो स्वागत है आर्यन टीवी में


जय हो

लङकियों को मीडिया में काम करना हो तो फिजिकल रूप से हमेशा टाईट रहिए। आपका बॉडी टंच रहना चाहिए...देखने में खूबसूरत हो जिस पर कोई भी मर मिटे । तभी आप मीडिया में काम कर सकती हैं। यह कहना मेरा नहीं है....ये डिमांड है आर्यन के तारणहार गिंजन जी का...मेरी बात पर विश्वास नहीं हो तो आप आर्यन टीवी जाए आपको अपने आप सबकुछ दिख जाएगा। सीसे के चेंबर में बैठे टोपी बाले बाबा के सामने 20 से 21 साल की लङकी बैठी मिल जाएगी। आज कल फिर से वे सभी को मीडिया में आने का गुर सिखा रहे हैं। उनके अनुसार न उन्नीस से कम हो न इक्कीस से ज्यादा तभी आपके पीछे सभी आयेगे।

महिला प्रेम उनकी कमजोरी है ये तो सभी जानते ही होंगे। ये महाशय इसी कारण हर चैनल को छोङते रहे हैं...जहाँ वे खुद नहीं छोङे वहाँ से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कुछ दिन पहले की ही बात है गिेंजन जी प्रोफेसरगिरी छोङ कर फिर से चैनल में आने की सोचे... मौका भी मिला झाजीवा के चैनल में...नौकरी पर आते ही सबसे पहले अपने चेंबर को साफ करवाये...ताकि उन्हें अपने पुराने धंधे में कोई तकलीफ न हो... सभी महिला एंकरों पर डोरा डाले... मगर ये क्या पहले से काम कर रही लङकियों ने कोई भाउये नहीं दिया...सो उन्होंने अपनी रणनीति बदली ...अब वे अपना जादू इन्टर्न पर चलाए...जादू चलना शुरू हो गया...और जादू भी ऐसा एक, दो नहीं आधा दर्जन लङकियों को अपने चेंबर में बैठा कर देने लगे...मैनेजमेंट से लङकर सभी को तीन तीन हजार की नौकरी भी दिलवा दी...लेकिन कुछ ही दिन के बाद संपादक जी के साथ खटपट होने लगा...संपादक जी बोले गिंजन जी अकेले से काम नहीं चलेगा...बेचारे परेशान ई कहा से आ गया दाल भात में मूसल चंद...संपादक जी भी कहाँ पीछे रहने वाले थे...लगे कान भरने झाजीवा का... काम रंग भी लाया कुछ ही दिन के बाद इस्तीफा देना पङा बाबा को.... यही रोग एक बार फिर से सर चढ कर बोलने लगा है गिंजन जी को...काम कम गप्प ज्यादा वो भी लङकियों के साथ...जिसके कारण मौर्या से निकाले गये थे एक एक कर सभी को नौकरी देना शुरू कर दिए हैं। श्रुति को बुलाकर नौकरी दे दी सात ही कहा कि औरो कोई हो तो बताना...

हम तो यही कहेंगे गिंजन जी एस बार संभल जाईये नहीं तो फिर हो जाएगा टाई टाई फिस्स...

जय हो