शुक्रवार

खबरदार जो खबर फैलाया

जय हो

आज फिर एक बार मौर्या टीवी की बात करनी पड़ रही है ! क्या कहें... कैसे कहें... कहाँ से शुरू करें... समझ में नहीं आ रहा है ! लेकिन खबर तो बतानी ही होगी सो बंधू आजकल मौर्या टीवी में पांच सिफ्ट में काम चल रहा है ! बिलकुल सोडा फैक्टरी की तरह ! प्रोडक्सन कर रहें हैं पत्रकार फिल्म के सेट के स्पोट बॉय की तरह ! सुबह चार बजे से बॉस ने ऑडर निकला था काम पर आने के लिए ! क्या बात हुई भाई ! गुंजन , मुकेश , प्रेम को पता होना चाहिए की पत्रकारों से काम लेना हो तो समय से उन्हें मत बांधिये! फंस जाइएगा तो फिर सब बंटाधार !
वैसे अभी विरोध के बाद सुबह छह बजे , आठ बजे , ग्यारह बजे ,बारह बजे और तीन बजे की सिफ्ट तय की गयी है ! अरे बंधू , अभी से सिफ्ट में बुलाकर क्या कर रहे हैं ! दो बुलेटिन के लिए इतना चू चपड अच्छा नहीं होता है !वैसे भी आप के पास खबर है नहीं ! डाकू के मुखबिर को बढ़िया काम दिया है थैंकू ! क्राइम रिपोटर बना दिया ! अरुण पाण्डे खुद ही विपक्ष की रिपोटिंग करना चाहता है ! आशुतोष और इरफ़ान सोफ्ट स्टोरी करेगा ! तो स्टोरी कौन करेगा कुमार राकेश ? या गुंजन या फिर मुकेश ? अरे गुंजन की बात लीजिये ! काम बढ़िया नहीं हुआ .... dontworry ... किताब पढ़िये ! अरे गुंजन जी यह नवभारत टाइम्स का समय नहीं है की सबको किताब पढ़ा रहें है ! सबको विजुअल के हिसाब से काम करने दीजिये ना खुद विजुअल समझते नहीं है और ....!
अब मौर्या टीवी में काम करने वाले भीतर से दुखी है ! अभी से ही सारी चीजें समझ में आ रही है की आखिर मैत्री के वेतन में इजाफा कैसे और क्यों ? यह लडको को कैसे मिलेगी भाई ...?
बात सिर्फ इतनी ही नहीं है ! आज कैंटीन वाले ने पार्टी राखी है फ्री का माल जमकर खायेंगे गुंजन ओवर कोट डालकर ! रत्तु भैया की तो मत पूछिए ...नर हैं ना नारी ! कहाँ से कहाँ तक कितनी बेज्जती सब सह लिया ! दरबान तक देख कर मुस्कुराता है !और अशोक भाई तो रिसर्च कर रहा है न्यूज़ वह जानता नहीं ! लेटर लौटाया तो ... फिर डर भी गया!
यहाँ सब ठीक है ऐसा लिखवाया भड़ास मीडिया में इसके लिए खर्च पचास हज़ार !भड़ास यही करता है ! बहरहाल मौर्या में अभी भी सब ठीक नहीं है ! सीने में आग लगी है कभी भी धधक जायेगा तो फिर बचना मुस्किल है ! इसीलिए कहता हूँ .....
जय हो

आज कोई कहानी नहीं


जय हो

आज कोई कहानी नहीं ... कहानी हो भी तो पुरानी नहीं ...
चले थे साथ दूर तक
पर सफ़र अधूरा छोड़ निकल लिए मुझे छोड़ कर !
आज भी मेरी आँखों में वह लम्हा वैसे ही मौजूद है
जैसे अबतक तन्हाइयो में
उनके कदमो की आहट
पैरों के निशान
और ....
अब भी याद है !