शुक्रवार

आज कोई कहानी नहीं


जय हो

आज कोई कहानी नहीं ... कहानी हो भी तो पुरानी नहीं ...
चले थे साथ दूर तक
पर सफ़र अधूरा छोड़ निकल लिए मुझे छोड़ कर !
आज भी मेरी आँखों में वह लम्हा वैसे ही मौजूद है
जैसे अबतक तन्हाइयो में
उनके कदमो की आहट
पैरों के निशान
और ....
अब भी याद है !

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