शनिवार

हमारी भी जय जय : उनकी भी जय जय

जय हो

खबर पर निगाह रखने वालो सावधान तुम पर पड़ गयी है अब शैतान की नज़र ! घूरता रहता है ... पीछा करता है ... और पहचान कर रहा है पत्रकारिता के गुनाहगारो को... जिन लोंगो ने बदनाम कर दिया है ... बेच दिया सड़क पर बेशर्मो की तरह ... जिससे खाते रहे नमक उसी से नमक हरामी करने वालो ... चेत जाओ ... क्योंकि सच का सामना तो तुम नहीं कर सकते ... तुम तो किसी को भी अपने स्वार्थ के लिए बेच सकते हो !
आप भी यकीन करिए की आजकल पत्रकारिता में करोड़ पति बनाने का ख्वाब देखने वाले एक नहीं कई है ! किसी भी कीमत पर ... कलम बेचकर हो या .... ? सब कर सकते है !आकर तो देखिये पटना ! सब पता चल जाएगा ! कोई हर शनिवार को महज इसलिए मटन की पार्टी देता है ताकि उसे भाई लोग बड़ा मानता रहे ... तो कोई इस कारण की रात का जुगाड़ हो सके ... और आज भी कई लोग है जो मीडिया को धंधा मान इसलिए रह रहे है कि दूसरा धंधा ना चौपट हो जाए ! पर अरे नाराधर्मी होइहैं वही जो राम रचि राखा !