मंगलवार

भाई साहेब मैंने चरस नहीं दारु पी है


जय हो यह तो कमाल हो गया ... भाई जी के चैनल के दो एंकर ने वो कमाल किया की धोती फट के रुमाल हो गया ... नहीं समझे ... कहाँ किस खेत में रहतें हैं आप ... अरे वही भाई जी चैनल वाले झाजीवा... नहीं मालोम तो अपुन आपको बताई देता है ... विचित्र शहर के ... हडताली मोड़ से आप भगवान् कृष्ण के नाम वाले इलाके में जाइए ... बस दारु वाले दूकान से पश्चिम हो जाइए ... बच्चो वाले पार्क के पास पहुंचे की ... बाए ... सामने देखिये ... मिल जाएगा भाई जी का चैनल |

तो सायबान , आप समझ गए की इस चैनल के असली मालिक कौन है ... मामा या भगिना|मामा तो गुमान में है और भगिना तो मत पूछिए साहेब ... कपूत नहीं पूत है | तो असली कहानी अब ... चैनल में कई एंकर है ... कोई दारु पीता है तो कोई गांजा तो कोई चरस नहीं तो कोई किसी की रखैल |आज भी गांजा सिगरेट में भर कर पीने वाला कोई और नहीं ... अरे वही अपना राजेन्द्र नगर में रहने वाला ... वीवी को वेश्या घोषित करने वाला और दूसरा... भाई ... क्या बताएं ... रहता है गंगा के सामने एक अपार्टमेन्ट के किराए के फ़्लैट में और गंगा को माँ नहीं ... ? आप समझ लीजिये क्योंकि इस कहानी में सारे पात्र असली है ... सिर्फ नकली है तो लेखक |

तो भाई जान आज दोनों एंकर में शर्त लगी कौन कितना पीता है ... एक ने पहले सिगरेट में गांजा भर के पी ... ताव में दुसरे ने भी पी ... फेर चरस आया ... विचित्र शहर के बजरंगवली जो आने वालो और जाने वालो की निगरानी में स्टेशन पर बैठे है... का सहारा लिया गया ... उनके मंदिर के पीछे ... थंक्यू ... आज बजरंगवली को भी समझ में आया | पर महावीर जी को लगा कि सा .... ला .... ई दुनु तो फाड़ दिया सो अपने गार्ड को भेजे ... दारु पीते और एक दुसरे की माँ ... बहन ... वीवी को गरियाते पकड़ा गया ...|

विचित्र शहर के ठण्ड में ऐसी मार पड़ी कि दोनों मिमिया गए | जारे कुलक्षण ... ताव आ गया ... सा ... मारेगा ... हम झाजीवा के चैनल में एंकर हैं ... ल ... और ठुकाई ... सबके सामने झाजीवा को पब्लिक का माँ बहन ... याद आया ऐन्करवा को ... रे सा ... ई तो स्टेशन है ... पैर पकड़ा ... गलती हो गयी मज़ाक कर रहे थे ... भैया आप मेरे बाप नाहित है ... मेरे घर आईये ... जो कहिये ... ने ...नहीं तो सब इंतजाम कर देंगे |

अब कहानी का पटाक्षेप ... बच गया पर विचित्र शहर का हर कोई कहानी से वाकिफ | जय हो