रविवार

गए थे हरी भजन को ओटन लगे कपास


जय हो

मौर्या टीवी वालो की जय हो ... ऐसा जय जो कभी किसी के साथ नहीं हुआ हो ... जय जय ... पर जय के साथ भय ... गाली का ... नयन का ... कर दिया गोल गपाड़ा | कभी भी इ नयनवा को भला नहीं होगा ... कु .... है |रंग में भंग करता है ... हे भगवान् इसको भी ... पानी नसीब नहीं हो ... सा ... रामी है |इसको रतौंधी हो जाय ... नै तो मोतिया बिन्द हो जाय ...| यह शब्द मेरे नहीं है ... आप जाइए और मौर्या टीवी के ऐसे किसी से बात कीजिये जो रात में विनय की विदाई पार्टी में भात खाने गए थे पर ... हे दिना नाथ कोढ़ी फूट जाय इसको ... | समझे आप ... रह रह कर पांड़ेवा ... पानी पी पी कर गाली देता मिल जाएगा | यह होना भी चाहिए इसीलिए हो रहा है | आप नहीं समझ पाए कोई बात नहीं ... आपको पूरी कहानी ही बता देते हैं |

असल में विनय ने मौर्या टीवी से विदाई ले ली है और इस ख़ुशी में उसने अपने घर पर एक पार्टी दी और इस पार्टी में मौर्या टीवी के सारे लोंगो को बुलाया पर नज़रे इनायत करने वाले नयन सुख को इस ख़ुशी में शामिल होने का न्योता नहीं दिया | और नयन सुख जी टाक में थे की पार्टी को भारनष्ट कर दें और मौक़ा मिल गया | शनिवार की रत ... रात दस भी नहीं बजे थे ... इनपुट और आउटपुट खाली ... सब भात पर टूटने नहीं बल्कि न्यूज़ एक्सप्रेस तक मैसेज पहुँचाना चाहते थे की सब आने को तैयार है ... विनय से पैरवी चल रही थी ... नयन सुख जी ने ना आउ देखा ना ताव और लगाया भांजा श्री को फोन ... हजूर ... माई बाप ... सब गजबे कर दिया है ... एक्को गो नहीं है ... सब गायब है ... कैसे चलेगा चैनल ... ले बलैया... भांजा श्री तुरते हाज़िर ... कहाँ हैं सब सा ... फोन लगाओ ... मोबाइल की घंटी बजी ... हेल्लो ... प्यार जी ... बात कीजिये ... हेल्लो पांड़े ... फाड़ दूंगा ... सा ... जल्दी ... निकल |

हो गया खेल ... नयनसुख जी मस्त ... कुमार साहेब ने खेल देखा ... बच गए रे भाई नहीं तो हमको भी ....| जय हिंद ... मौर्या टीवी जिंदाबाद ... | पर भगवान् है तो इसको ... इसको फिर से ... देखना हो भगवान् इस बार बचे नहीं |चीख पुकार प्यार जी और पांड़े जी के सीने में गूँज रही है |

जय हो