बुधवार

बडबोले मटन बाबू


जय हो कुछ पत्रकार भाइयों के नस में इनदिनों बडबोलेपन का कीड़ा घुस गया है | जहां भी जाते हैं ... जैसे ही कुछ साथी मिलेंगे लगते हैं अपने कुकर्मो का बखान करने ... मैंने इतना पीया ... इतना दारु पी सकता हूँ ... मुझे क्या है कंपनी पीने के लिए पांच हज़ार रुपये रोज़ देती है ... मेरे बिना कंपनी ... मै हूँ तो कंपनी है |मेरे हाथ का कभी मटन खाओ ... सारे चैनल वाले मेरा मटन खा चुके हैं ... रम डालकर मटन बनाने में मै माहिर हूँ ... ऐसी और इस तरह के शिगूफा दागने वाले मटन बाबू इनदिनों यह भी बताने से नहीं चूकते कि उनके बारे में जब खुलासा ने मीट झा पुराण लिखा तो उन्होंने कैसे खुलासा के ऑफिस में जाकर गाली गलौज किया ... डरते हैं सब ... है कोई ... सा .... ला .... फाड़ कर रखता हूँ |

असल में मटन बाबु आजकल फ्रस्टेशन में जी रहें हैं ... जीना भी चाहिए ... अब उन्ही के हिसाब से सोचिये कि रोज़ एक ब्रेकिंग खबर करने के बावजूद उन्हें कोई नहीं जानता कि भाई साहब मटन बाबू क्या करते है सो मटन बाबु दिन में दो बजे ही शुरू हो जाते है | कभी रम तो कभी बीयर तो कभी व्हिस्की |और जब थोडा ले लिए तो फिर उनके रगों में दौड़ने लगता है बडबोलेपन का कीड़ा ... वह भी एक नहीं दो नहीं ...लाखो करोडो कीड़ा एक साथ और मटन बाबू सनसना जाते है |

अब देखिये पूर्णिया के बीजेपी विधायक की ह्त्या के कवरेज के लिए भाई साहेब पहुंचे पूर्णिया... कवरेज अपनी जगह ... रिपोटिंग गया तेल बेचने... मटन बाबू मुंह में गुटका दाब शुरू हो गए |दिन से रात तक ... कोई रोकटोक नहीं ...कंपनी पांच हज़ार इसी लिए रोज़ देती है |भाई साहेब ने मटन भी बनाया खाए भी खिलाये भी ... विधायक की ह्त्या और महिला रूपम की गिरफ्तारी का मामला होटल के किचेन में मसाला के साथ ही फ्राय हो गया ... शुरू हुआ व्हिस्की तो याद आया और फिर शुरू ... यु पी में मैंने कैसे डकैतों को खदेड़ कर रिपोटिंग की ... सोनिया गाँधी कैसे मेरा नाम लेकर बुलाती थी ... भाई साहेब मटन बाबू ने अतहतह कर दिया ... जय हो मटन बाबू |