शनिवार

विदाई का सबब


जय हो

यह गलत किया है देसी शराब नाम वाले चैनल ने ... भाई ठाकुर जी को विदा कर दिया ... का गलती हो गयी थीं ... ग़लती हुई तो ठीक भी किया जा सकता था ... इ का मतलब हुआ की सीधे ... ग ... मुडिया दे कर पलट दीजिएगा | इ भाई ठीक नहीं है ... अपने हिसाब से चैनल चलाइये ... शिकायत नहीं ... पर जब न तब तेल निकालने पर लगे रहिएगा ... ऐ भाई आप ही लोग जनता जनार्दन हैं ... फैसला कीजिये ... ठाकुर जी पटना में रहे महुवा से नशा पैदा करते रहे ... एक्को बार बाज़ार में नहीं गए ... बैठे बिठाए खेलते रहे ... लेते रहे रहे ... हाँ इ गलती हो गया की सड़क से चुनकर उठाये और भाप पर चढ़ा कर नशा पैदा करते रहे ... पर इ कौनो बात है की जब चाहिएगा ... हवा ऐसे थोड़े निकाला जाता है ... तरीका नया अपनाइए ... ठीके बनारसी है ... |

तो सायबान आपके लिए खबर इ की ठाकुर जी अब देसी कंपनी से बाहर ... अब फिर झाजीवा ताल ठोकेगा... आया ऊंट पहाड़ के निचे ... पर यह गलत है ... ठाकुर जी गलती किये तो का मतलब ... उनके साथ भी ऐसे ही होगा ... न ... इसका विरोध करेंगे तबतक जबतक की बेचारे ठाकुर जी का माल ख़त्म ना हो जाए और ठीके पहाड़ के निचे ना आ जाएँ |

वैसे कहावत ठीके है ... बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए |

जय हो

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें