शुक्रवार

मीट झा पुराण

जय हो



भाई साहेब मीट बढ़ियाँ बनाते है ... जाति के हिसाब से खिलाते भी तरीके से है ... खा लिए तो सोने की व्यवस्था भी कर देते है ... लेकिन एक बात इस व्यवस्था में अपना एक पाई नहीं लगाते है ! है ना मीट भात झा की जय हो वाली बात ! तो इस मीट भात वाली कथा सुनाने से पहले की अगर आप ने भी खाई हो मीट भात ... बी ...इयर ... घंटो उनकी तोप छोड़ने वाली कहानी सुनी हो तो आपकी भी जय हो ! तो जनाब आजकल भाई साहेब को बस एक ही शौक है ... मीट बढ़ियाँ होना चाहिए ... राजा बाज़ार वाला ... छोटा पाठा ... पीस बड़ा होना चाहिए ... लकड़ी का इंधन और मिटटी की हांडी ... जगह कोई पांच सितारा ... हल्दी नमक के अलावे भाई साहेब की दिमाग का मसाला ... घी मीट के वजन का ... गोलकी ... जाफर से लेकर हर मसाला कूटकर .... मीट जब चूल्हे पर चढ़ जाए तो उसमे ... हा हा हा ... पानी की जगह बिलकुल खालिस थ्री एक्स ...! इतना कुछ हुआ कि नहीं की भाई साहेब शुरू होते है ... अरे आओ ना इतना बढ़िया व्यवस्था कि ... हाँ उनको भी ले आओ ... बांकी को हम फोन कर देते है ... खालिस मीट .. और ... !



अब शाम हो गयी धीरे दिये मीट के परिंदे जमा होने लगे ... इकठ्ठा होने के लिए जगह तय कर दिया गया ... बच्चो के पार्क के सामने ... लोग जुटे सुमो तैयार ... चल दिए बैठ कर ... रे बाबा ... ऐसा इंतजाम सा ... ऐ सी कमरा ... कमरे में क्वालिटी का शराब ... मोटा गद्दा वाला बेड मामला समझ में नहीं आया ... चल भाई मीत बढ़िया बनाया है ... सलाद के साथ नमकीन भी खालिस पियक्कर वाला ... अब शुरू हुआ दौर ... ना बांकी रहे शाम सिर्फ टकराए जाम ,,, अब शुरू हुआ खेल ... भाई साहेब ने कहा की मेरे एक दोस्त ने इसको ... रेस्ट ... को बनाया है मई जब चाहूं इसका फ्री में इस्तेमाल कर सकता हूँ बांकी गेस्ट भाइयों का बज गया ... अरे सा ... बिना टी आर पी के चैनल और रुवाब त देख तनी... भाई साहेब के गेम का नया सीन आया मीत के साथ एक नए सज्जन ... पत्रकार ... जाम रुका ... भाई साहेब ने सीन दो के मुताबिक एक प्याला नए भाई को थम्हा दिया और ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे का नगमा बिना रेडियो सूना दिया !अंग्रेजी चैनल के तेज़ तर्रार भाई ने जाम खाली किया और मीत भात पर टूट पड़े और उड़न छू ! बच गए कभी नंबर वन के रिपोटर नंबर टू ... मोटा गद्दा देख मन नहीं माना ... आराम फरमा लिए ... रात गहरी हुई तय हुआ चला जाय सज्जन के साथ बैठे गाडी में पूरी बड़ाई ... मीत झा का कोई जोड़ नहीं है ... दोस्तों पर हज़ारों कुर्बान ... रिपोटर साहब ... गदगद ... तभी एक आवाज़ आयी भाई साहेब एक बार तो मेरा नाम लीजिये ...इस पार्टी का टोपी मेरे ही माथे है



मीट झा का मीट पुराण काफी पुराना है यही पुराण सुनकर तो कई लोग घायल हो जाते हैं ! अब देखिये पहाड़ी इलाका ... एक महिला पत्रकार की मौत ... भाई साहेब पहुँच गए देश को बताने की सच क्या है ... होटल लिया पत्रकार की मौत के गम में रम में बना दिया मीट ... होटल के बेयरे से लेकर अंग्रेजी के लास्ट लेटर के रिपोटर ने भी खाए मीट ... अब भाई साहेब मौत पर भी मीट खाकर मातम मनाते हैं !



जय हो

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें