रविवार

मौर्या टीवी में हु तू तू



जय हो


मौर्या टीवी का हाल क्या है कैसे है ... कोई नहीं जानता . बिलकुल चीन की तरह ! जितना बताया जाएगा उतना ही ! पर मौर्या टीवी के रांची ब्यूरो को सलाम कर सबकी बैंड बजाने वाले एक सच्चे पत्रकार की जवानी ही सुनिए की वहाँ क्या हो रहा है !


सेवा में,
श्री मुकेश कुमार,
निदेशक,
मौर्य न्यूज़, पटना.
मैंने आपको कई बार फोन किया, पर आप मेरा फोन नहीं उठा रहे और न ही कोई जवाब दे रहे है, कारण क्या है आप जाने इसलिए मै आपको मेल कर रहा हूँ. ------- क्योकि जरूरी है, मुझे अपने कामों से १० दिनों की छुट्टी चाहिए थी आपने कन्फर्म नहीं किया, मैंने सोचा की आप १० दिन की छुट्टी देने में असमर्थ है, ३ दिनों की छुट्टी मांगी पर आपने कन्फर्म नहीं किया, फिर भी मुझे बहुत जरूरी है, मै २३ से २५ जून तक छुट्टी पर हूँ, और इसकी सूचना sms के द्वारा मैंने सबको दे दी है.
कुछ मै आपकी बातो को याद दिला दू, जो रांची में २८ मई को मीटिंग के दौरान आपने कही थी -------------
आपने कहा था की आपके कान चुगली सुनने के लिए नहीं बने, पत्रकारिता सम्बन्धी कार्यों के लिए बने है, पर आपने रांची और पटना में बैठे लोगों की चुगलियों के आधार पर जिसके कहने पर मेरे उपर एक्शन लिया, वो बताता है आपके कान चुगली सुनने के लिए ही बने है. नहीं तो आप एक आदर्श स्थापित कर सकते थे.
क्या आप जानते है की हमने रांची में कितनों की गालिया और किसके लिए सुनी है. जानने की आपने कोशिश की. आपको याद है जब मेरे खिलाफ ऑफिस के कंप्यूटर में गालिया लोड की गयी, आपसे मैंने न्याय माँगा, आपको जिन पर कारवाई करनी चाहिए थी उसे बचा लिया और मुझे ही बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिन्होंने मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ भद्दी भद्दी गालिया लिखी उन्हें आपने खुली छुट दे दी की जो चाहे वो करो, आज आपके ऑफिस में क्या हो रहा है. जरा खुद देखिये ----------------------
कमाल है मैंने आकाशवाणी, आर्यावर्त्त हिंदी दैनिक, हिन्दुस्तान हिंदी दैनिक, दैनिक जागरण और etv जैसे संस्थानों में काम किया वहाँ मेरे कामों और आदर्शों की इज्ज़त की गयी, पर आपके यहाँ, आदर्शों और काम की कोई मूल्य नहीं. आपके यहाँ झूठी चुगलियों का बोलबाला है. तभी तो मानसून की झूठी खबर भेजनेवालो को सम्मानित और मुझे अपमानित कर दिया गया, यही नहीं आपके लोगो के द्वारा एक सज्ज़न व्यक्ति पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी की धज्जियां उडा दी गयी. रांची में मौर्य की क्या इज्ज़त है, आप खुद पता लगा लीजिये, बस कुछ करने की जरूरत नहीं है, आप अपना बूम लेकर किसी भी कार्यक्रम में चले जाइए, आपके अगल बगल में बैठे पत्रकार क्या कहते है सुन लीजिये.
मेरे १६ साल के पत्रकारिता के जीवन में, मेरे ऊपर किसी ने सवाल नहीं उठाये है पर आपने उठाये है, वो भी चुगलियों के आधार पर.
हां आप कहते है की मुझे यानि आपको चापलूसी पसंद नहीं है, पर मेरे पास इसके भी पुख्ता प्रमाण है की आपको चापलूसी पसंद है, जैसे भड़ास ४ मीडिया. कॉम में आपके छपे interview में रांची के ही एक स्टाफ ने आपके गुणगान कमेंट्स में किये है और लिखा है on the behalf of all staffs of ranchi office क्या आपने उससे पूछा की जो उसने कमेंट्स लिखे है, वो उसके है या सभी staff के. आपने नहीं पूछा क्योकि गर आप पूछते तो भले ही नौकरी चले जाने की डर से सभी हां कर देते, पर मै विरोध करता क्योकि मै सच बोलता हु, मुझे नौकरी की नहीं अपने जीवन मूल्य की ज्यादा चिंता है.
आप किसी से मत पूछिये, आप अपनी अंतरात्मा से पूछिये की क्या किसी ऐसे व्यक्ति को जो दुसरे संस्थान में जमा हुआ हो, उसे बुलाकर, इतनी जल्दी बे-इज्ज़त कर कर के निकालना उचित है. गर आपको लगता है की यही उचित है देर क्यूँ कर रहे है निर्णय लीजिये. पर याद कर लीजिये. ईश्वर जो आपके ह्रदय में बैठा है, वो देख रहा है, आपको भविष्य में खुद पर लज्जित होना पड़ेगा.
अभी आप जो सुनील पाण्डे -- सुनील पाण्डे जप रहे है, वो क्या है, मै खूब जानता हूँ. उनके आदर्श क्या है, ये भी मै जानता हूँ, वो मुझसे क्या चाहते है, ये भी जानता हूँ, पर क्या करू, इस ४३ वर्ष में, जो माता-पिता ने मुझे संस्कार दिया है और जिस आदर्श के लिए जीना सिखाया है उसे मै झूठी शान के लिए, वो संस्कार बीस हज़ार की नौकरी के लिए कैसे बर्बाद कर दू.
अंत में,
महत्वपूर्ण ये नहीं, की मौर्य में कौन कितने दिन काम किया.
महत्वपूर्ण ये है, वो जितने दिन काम किया, कैसे किया.
मुझे गर्व है की -------------------
क. मैंने ट्रान्सफर-पोस्टिंग का सहारा लेकर कोई न्यूज़ नहीं भेजा, जो भी न्यूज़ भेजी, वो मेरा अपना था.
ख. मैंने मौर्य के लिए अपने ही संस्थानों के लोगों की गालियाँ सुनी पर मैंने किसी को गालियाँ नहीं दी.
ग. मैंने जो भी कदम उठाये या बाते रखी, वो खुद को प्रतिष्ठित करने के लिए नहीं, बल्कि अपने संस्थान को बेहतर करने के लिए, ये अलग बात है की आपको समझ में नहीं आया.
घ. मुझे सबसे बनती है, पर ऐसे लोगो से नहीं बनती जिनकी कथनी और करनी में अंतर हो, चाहे वो कोई भी हो.
आपसे प्रार्थना है की जैसे ही आपने २१ जून से मुझे काम करने पर रोक लगा दिया आपके ऑफिस से लेकर पुरे रांची में तथा पटना ऑफिस में बैठे हमारे कट्टर विरोधियों में जश्न का माहौल है. कुछ तो रांची ऑफिस में पार्टी भी दे चुके है, आशा है आप उनके दिलों पर कुठाराघात नहीं करेंगे, और जल्द से वो पत्र भी भेज देंगे, जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार है. आप समझ सकते है, मेरा इशारा किस ओर है...
भवदीय
कृष्ण बिहारी मिश्र
पत्रकार, रांची.
दिनांक -- २३. जून २०१०."
जिस दिन मौर्य लाँच हुआ था, हमें ऐसा लगा था की मौर्य की पुनरावृति हो रही है, एक और चाणक्य उदय ले रहा है, पर मै भूल गया की, उस वक़्त और आज के वक़्त में काफी अंतर आ चूका है, प्रदुषण बढ़ा है, चारित्रिक पतन हुआ है. पत्रकारिता के नाम पर लोग दूकान खोल रहे है. और दूकान में क्या होता है. सभी जानते है. रही बात मौर्य ने कृष्ण बिहारी मिश्र को हटाया अथवा मैंने मौर्य को छोड़ा, ये जनता अथवा आदर्श पत्रकारिता में विश्वास रखनेवाले लोग निर्णय करे तो अच्छा रहेगा.
कृष्ण बिहारी मिश्र
पत्रकार.रांची (झारखण्ड).

1 टिप्पणी:

  1. Mujhe lagta hai aap jarurat se jyada frustrate hain phir bhi chahte hain ki sab kuchh achha ho jaye.

    hamehsa yaad rakhen taali ek hath se nahin bajti aur yadi aapki parwah koi nahi karta to media ke madhyam se itna kuchh likhna aapko hi niche lata hai.

    Salah-: swatantra patrakarita karen aur jeevan ke aur bhi jaruraton ko samjhen

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