सोमवार

भला है बुरा है जैसा भी है मेरा पति मेरे देवता है

जय हो

यह किसी के घर में घुस कर उसके बेडरूम में झाँकने की मेरी कोशिश नहीं है कि वहां देखू कि कोई यह गाना गा रही है या ... रही है ! लेकिन जब संकट आता है तो पेड़ , पौधे , सड़क , गिट्टी , बालू , दीवाल सबमे सुनने कि शक्ति आ जाती है! तेज़ आवाज़ होते ही चमकू बैल कि तरह ये तमाम चीज़ हिनहिनाने लगते है और खबर फ़ैल जाती है ! किसी लेखक ने बिलकुल सही लिखा है कि आप रात या दिन भले ही सोते हैं पर आपकी जीभ नहीं सोती है ! अब जबकि कहानी कि जानकारी सबको हो गयी तो श्रीमानजी कहानी कि नायिका का तबादला कर दिया गया है ! वह भी उसके भाषा भाषी इलाके में जहाँ किसी चीज़ कि गूँज नहीं होती सब कुछ ऐसे ही गर्त में मिल जाता है और कुछ भी शेष बचाता है तो सिर्फ स्मिरितियाँ !
भले ही आज मटुक नाथ अपनी शर्मनाक हालत को लेकर निर्लज्जता कि सीमा लांघ जाए और सरेआम मंच से अपने घटिया प्रेम कि दुहाई दें पर कोई भी एक सभ्य व्यक्ति अपने घर उन्हें नहीं बुलाता ... तो यह है समाज ! नीचता की सीमा के पार कर किसी के लिए समाज से टकराने कि जरुरत उस उम्र में पड़ती है जहाँ बालक मन प्रभावी होता है ! अब यह सब करने का अर्थ सीधा है कि आप दलदल में जाना चाहते हैं .............. तो जाएये ! गुड बाय !
अनानास के खेती वाले इलाके अखबार के लिए वह जगह है जहाँ किसी को कालापानी कि सजा दिया जा सके ! सो तय हुआ और मैडम कालापानी भेज दी गयी हैं भले वो ज्वाइन ना करें यह अलग बात है !लेकिन इस खबर ने मीडिया जगत में जातिवाद फैला दिया है ! जाति के पत्रकार भाई सब इकट्टा है कि जाति को बदनाम किया जा रहा है ! पर कोई भी जुबान से पाप के खिलाफ क्यों नहीं है ... पाप और पापी , अपराध और अपराधी , कुकर्मी और कुकर्म को बढ़ावा देने से कोई फायदा नहीं है बंधू !
खैर , दुनिया में लहू के दो रंग है यह अब समझ गया ... आप समझे ... नहीं ना .... तो आप अनाड़ी है ! अब ..... जय हो

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